पोलीस के पुँजे
Stage: Empty. Early Morning. Yellow light at back of stage
to signify sunlight. A man, Shankar, is exercising.
मोमिन [भागते, दारहुआ] अक्चा हुआ आप इतने जल्दी मिलगये! बच्चये मुजे! पो- पोलीस हमारे पिच्छे लगे हूऐं हैं!
शंकर: अर्रे, केया हुआ भाई? कितने पारेचन डीकरहेहो! जेरा आराम करो – क्या हुआ?
मोमिन: आराम कर्नेकी देर नहीं है! पोलीस हमारे पिच्छे पदेहूऐं हैं!
शंकर: मगर क्यों?
मोमिन: नहीं मालूम!
शंकर: नहीं मालूम? मतलूब?
मोमिन: बस – खाली इतना जनता हूँ, मेरे पिच्छे पदेहैं!
शंकर: ऐसा कैसा हो सकता हे? आप क्या किये? क्या हुआ?
मोमिन: भाई, मैं कुछ नहीं किया! मैं कुछ नहीं जनता! बस – खाली मेरे पिच्छे लगे हूऐं हैं.
शंकर: मुजे कुछ समाज नहीं आरा! आप कुछ नहीं किये, आप कुछ नहीं जानते – ये सुब, ऑर सुब्बे सुब्बे!
मोमिन: समजनेकेलिये कोशिश करिये, जेनाब! मेरा एक अज़ीज़ दोस्त, जो सुब कुछ जानते हैं, जो बड़े लॉगोंसे मिलहूऐइं हैं, उन्नोने मुजे काल रॅट्को a छोटा वॉर्निंग दिये, ‘bus खबरदार raho’... मे बिल्कुल सोनहिं सका, ऑर सुब्बे होटेःुई आपके पास भागतेहुए अय्या!
शंकर: अच्छा – क्वॉन है ये दोस्त?
मोमिन: मे केहेनहीं केहसाकता – मजबूर मत करिये – बोहूत बड़ा आदमी हैं, बस! मुजे वॉर्निंग दिया, ऑर बोला किसीसे नहीं केहेना! बस.
शंकर: अर्रे भाई, मुज्जे सोचने दो – गब्रनेकी कोई बात नहींहे. कुछना कुछ रास्ता निकालेंगे.
मोमिन: हैं! इसलिये आपके पास मे भागतेहुए आया. मुज्जे मालूंता की आप मदत करेंगे!
शंकर: हैं! अक आइडिया है! मे अपने म्ला को अक्छी तरफ जनता हून. वो आक्चे आदमी हैं! मदत करेंगे.
मोमिन: मगर.. ये बात फैलना नहीं छैहिये – सुबको मालूम होगायतो मे मुश्किल मे पदजाऊंगा! सुबलॉग मुज्जे चोर या गद्दार समजेंगे!
शंकर: अर्रे कैसा फालेंगा? अपने एम एल A साहिब बहुत डिसक्रीट आदमी हैं. जो कुछ गलत फेमी हुआ है वो निकल देंगे! खबरोव मत! चलो! जाके मिलेंगे, एही बेस्ट टाइम है –abhi छै पीटे होंगैई, उनने गर मे पकडैंगे. चलो! चलो! चलो!
[The two men exit left stage, light dims for a couple of
seconds, they reappear right stage. MLA is at left stage drinking tea, hands
the cup to a servant and turns to them in surprise]
एम एल A: अर्रे आप! नमस्ते! नमस्ते! ऑर इतने जल्दी, ऑर ट्रॅक्सयूट में? क्या बात है? पाकिस्तानी अटॅक करे क्या? [हस्तेहुआ] आइये आइये – छै पीजिये – [पुकारता] अर्रे हो, सुनो!
शंकर: एम एल A साहिब ये मेरे पुराने दोस्त हैं – मोमिन – स्कूल मैं पड़े, अक्की बेंच मैं बाइते – जब से जनता हून.
एम एल A:[हाट मिलते] बहुत कुशिकी बात है, मैं आपका क्या सेवा करसकताइन हूँ? चलिये – उनदर जायेंगे, आरांसे बात करेंगे.
शंकर: साहिब, मामला जेरा गंभीर है! मोमिन साहिब बहुत आक्चे आदमी हैं, हंड्रेड पर्सेंट! किससिसे भी पूंछलिजिये – इने सबलोग जानते हैं, बहुत अछे आदमी हैं!
एम एल A: हैं, हैं, बेशुक! चलिये, उंदेरजके छै पियेंगे!
शंकर: बात है की पोलीस इनके पीछे पडेनहैं!
एम एल A: पोलीस! क्यूं? क्या हुआ?
शंकर; नहीं मालूम, ऐसा वैसा कुछनहीं हुआ, मगर...
एम एल A: उनने बोलने दीजिये. बोलिये साहिब, क्या हुआ?
मोमिन: कसम खाके केहइतौंहूँ एम एल A साहिब, मैंने कुछ गलत काम नहींकि, मुज्जे कुछ मालूम नहीं क्यों मेरे पिक्चे पदेहूऐं हैं...
एम एल A: डेकिये, घबराननेकिलिये कुछ अवस्ता नहींहे...जेरा आराम कीजिये... दिरे दिरे सुबकुछ बोलिये... क्या हुआ?
मोमिन: खुदा कसम, मैं कुछ नहीं जनता. हुमारे दोस्त...एक बड़े साहिब हैं, वो मुज्जे वॉर्निंग दिया, काल रॅट्को...मुज्जे पकदके सतायतो मालूम नहीं क्या होयेंगा...मे बहुत डारौं... यूनिवर्सिटी मैं वी चाइ साहिब सतरे, पैसेभी नहीं हैं...
एम एल A: टारिये, टारिये...घबरनेकी कोई बात नहीं है...कुछ गलत फेमी होगया होंगा...किस्सने आप को वॉर्निंग दिया?
मोमिन: मुजे मजबूर मत करिये, वो बहुत बड़े साहिब हैं, ऑर बोले उनके नाम नहीं लेना..
एम एल A: तीखा, तीखा...मैं दरियाफ्त करूंगा...एक काम करिये, सीदा आप पोलीस कंट्रोल रूम पोहउंजाइये...मैं उनसे बात कर्लुंगा...फिक्रार मत करिये, सब कुछ टिक होजायंगा
मोमिन: [डारेहुआ] पोलीस कंट्रोल रूम?
एम एल A: हैं, अभी सीदा पोहउंजाइये, कितने जल्दी हॉसाके उतने जल्दी...ये मामला अभी रुकवादेंगे.
मोमिन: थॅंक यौ वेरी मच साहिब, मैं ये कभी नहीं बुल्लुंगा. मुज्जेसे कुछ मदत छहे तो बोले ली ये, ऑर मैं एकदूं हज़ार होजौऊंगा, ऑर
म्ला: शुक्रिया मोमिन साहिब, फिरकाबी मिलेंगे, आप अभी पोलीस कंट्रोल रूम जाइये एकदम!
मोमिन: शुक्रिया, साहिब, मान्य थॅंक्स!
[Momin runs out right]
एम एल A: [शंकर को] आपतो तययिर रहेन्ना? उंदेरजके छै पियेंगे. अभी ये प्राब्लम निकल डूइंगा. आ दी गी पी साहिब इन चार्ज स्पेशल ब्रांच मे आक्चे तरूफ जानतहूं. अभी फोन करूंगा उनको. [takes cell
phone out of pocket and calls. ADGP appears at other end of stage.]
एम एल A: भारत्वाज साहिब! गुड मॉर्निंग, गुड मॉर्निंग!
आ D1 ग1 पी [फोनेपेर]: एम एल A साहिब, खैरियत? इतने जल्दी फोन कर्रे, क्या बात है?
ए M एल A: कुछभी नहीं, ऐसै किया, बहुत दिन होगई...
आ दी गी पी: आइये कभी, क्लब मैं लंच करेंगे, गेप मारेंगे...ये सॅटर्डे?
एम एल A: ज़रूर, वाइ नोट? सडेबरा बाज्जे क्लूबमे...ई आं मेकिंग a नोट. तीखे. भारत्वाज साहिब, ऑर एक छोटीसी बात है...
आ दी गी पी: बोलिये
एम एल A: आप हमारे दोस्त शंकर साहिब को पैचानटे हैं ना?
आ दी गी पी:क्वॉन? शंकर? हैं ज़रूर. अछे आदमी हैं, बहुत हेल्पफुल...
ए M एल A: अब्भी अब्भी आये, अभी खड़ेनहैं एहां...
आ दी गी पी: उनको मे क्या खिदमत करसक्तौं हूँ?
एम एल A: नहीं, नहीं! वो बहुत मजे मैं हैं! एक ऑर साहिब को एहां लाये. कोई मोमिन... यूनिवर्सिटी मे लेक्चरर हैं...
आ दी गी पी: मोमिन? मोमिन? उनने नहीं पैचांटा हूँ. उनके बारेमान कुछ नहीं जनता हूँ...
एम एल A: आपको जननाभि नहीं चईये! [हस्तेहुआ] बहुत सीदे सादे आदमी हैं, बिचारे! बहुत डरे हुनान हैं. उनको किस्सीने बड़कड़िया की पोलीस उनके पीछै पदेहूऐइन्हे. मुज्जे मालूम है की ऐसी कुछ बात नहीं हे [हस्तेहुआ]
आ दी गी पी [हस्तेहुआ]: आप फिकर मत करिये. आप कबसे उनको जानते हैं?
एम एल A: अभी अभी परिछआई हुआ. वो हमारे शंकर साहिब के बहुत अज़ीज़ दोस्त हैं, दोनो एक्सट स्कूल मे पड़े...डेकिये ‘intellectual type’ हैं, ऑर इनलोग नॉन-पोलिटिकल होतेहैं, ऑर काबीनक़ाबी इनड्वरटेंट्ली कुछ मुखसे निकल अट्टाहै...सूंजेना...बिल्कुल बिना कॉन्सिक्वेन्सस सोंचेहुआ...ई रिक्वेस्ट क्यूये...
आ दी गी पी: मैं समाजगया. आप केहेडिगीये कुछ डरनेकी बात नहींहे. ई विल एंक्वाइयर आंड क्लियर उप अन्य प्राब्लम. टेल देम नोट तो वरी.
एम एल A: थॅंक यौ, साहिब. इसी लिये आपको मैंने एकदूं फोन किया. कुछ लोवर डाउन कुछ प्राब्लम होतो, आप सुबकुछ क्लियर करदेंगे मुज्जे मालूम ता...
ADGP: We are here to serve the public. We are a democratic
state, not like Pakistan. Not to worry, no innocent person needs to worry.
MLA: Thank you very much DGP sahib, I knew you would clear
up any problem. Thank you, and we will meet at the Club, Saturday?
ADGP: Yes, Saturday, that’s a firm date. Bye.
MLA: Bye! [शंकारको] चलिये, सुब टिक होगया.अंडर जयैंगे, छै पियैंगे. [They leave
stage]
ADGP:डेक्को! ACP साहिब को उनदर भेजो!
ACP[appearing on stage and saluting smartly]: Sir!
ADGP:[softly] I want you to investigate one Momin, a
lecturer at the university. If it is something minor like embezzling cash, let
him go with a warning, he may be useful to us later. But I think it is
something more...Antinational!
ACP: Sir!
आ दी गी पी: [रिलॅक्सिंग] MLAसाहिब फोन किये, इनके बारेमान. सीदे आदमी हैं, ऑर उनके वोट बॅंक पॉलिटिक्स भी है. ये मोमिन कुछ लफड़े मैं फुस्सा हुआ है, दर गया, ऑर एम एल A के पास बागतेहुआ गया. ऐसे लोग कॉंटॅक्ट पॉइंट होते, ऐ एस ऐ को. Through him we can get the whole
gang.
ACP: Any other information source, Sir?
ADGP: None. But I think he will tell you all under
interrogation.
ACP: With extreme prejudice, Sir?
ADGP: Yes! No mercy for traitors. That way we save lives.
ACP: Sir!
ADGP: That’s all! [ACP salutes and withdraws. ADGP also
leaves stage. Clock keeps striking to suggest passing of time. Light at back
stage turns dark blue to suggest night time. Momin enters stage and hangs
around uncertainly. A friend enters from left]
दूस्ट: अर्रे मोमिन साहिब! एहां क्या कररहेहो, कंट्रोल रूम के बाहर? रात होचुकिहे. सब डॅफटर बूंद होगई!
मोमिन: अर्रे, साहिब! जिस परेशानीमे हूँ उसी सिलसिल्ले मैं अयन हूँ. पूरी दिन यहैं कटचुकाईं हूँ, मगर अभी तक मुज्जे बुलाइये नहीं. सुब कॉन्स्टेबल्स को हंड्रेड रुपीज़ डेचूक्कान हूँ, कार्ड बिजवा दिया, मगर कुछ नहीं हुआ. खड़ा हूँ यहीं.
दूस्ट: क्या बात हे, भाई? मे कुछ मदत करसकूं?
मोमिन: अर्रे साहिब, अपी ने तो बोले की पोलीस मेरे पिच्छे पदेहुनैईनहे!
दूस्ट: कब? क्यात बात कर्रे?
मोमिन: काल रॅट्को! अपने वॉर्निंग दिये!
दूस्ट [हस्तेहुआ]: अर्रे भाई, मज़ाक करराहाता! आप इतने सीरियस्ली बोले रहेते सोशियल चेंज के बारेमान, मैं जरा आप को उचकाया, बस! इतने मैं दरगाये?
मोमिन: पोलीस की बात हासी मज़ाक नहीं होटीःे, जेनाब! मे सुचमूचमे आप को बहुत सीरियस्ली लिया, ऑर आप मुज्जे कममोकम ऐसे पणीकमे दलडिये की...!
दूस्ट: अर्रे, भाई! माफ करो, मे जोक करराहाता. चलो, गर चलो, कुछ प्राब्लम नहीं है. डेक्को, वहन मेरा लिफ्ट आगया! चलिये आपको गर तक शोड्दूंगा!
मोमिन: नो, थॅंक्स. मेरेपस साइकल है. Sahib, honestly, I am still very
disturbed at your joke. But thanks for clearing it up. Relief! Sahib, thank
you, thank you, thank you!
दूस्ट: अर्रे! I am sorry, Momin, just a joke!
Don’t take it to heart, okay?
मोमिन: नो, नो, नो!
दूस्ट: Right! See you tomorrow – घर अजजाओ, बिरयानी बनके रकुंगा! ओके?
मोमिन: थॅंक्स, बूत नो. लेक्चर्स प्रिपेर करनेके हैं, I am behind
hand.
दूस्ट: कब्भीबी, ओके? जब चाहिये, जब अजाना.
मोमिन: Right. [Friend
leaves, Momin looks uncertainly after him, shakes himself and prepares to go
out at the other end. A tall man enters]
आदमी: मोमिन खान, लेक्चरर?
मोमिन: जी हैं.
आदमी: चलिये मेरे सात. वेट कर्रे.
मोमिन: क्या? क्वॉन हैं आप?
आदमी: पोलीस.
मोमिन [डारेहुआ हस्सीई]: वो सब क्लियर होगया, कोई प्राब्लम नहीं. मे गर चलता हूँ.
आदमी: मेरे सात अय्ईिए.
मोमिन: नहीं, साहिब, सुनिये. मुज्जे कुछ गलत फेमी हुइटि, अब सुब क्लियर होगया. मुज्जे गर जानेका है. दिन भर कुछ नहीं खाया.
आदमी: सरकारी मेहमान हो, कुछतो मिलजायेंगा.
मोमिन: चलतो हूँ. गुड नाइट!
आदमी: चाहिये तो मे जबरदस्त करूं?
मोमिन: सुनिये साहिब, ये सब एक गलत...
आदमी: उनदर आके A चाइ पी साहिब को सुनाओ. छल्लो!
मोमिन: मगर क्यों?
आदमी: [पुकारटाग] कॉन्स्टेबल्स! [Two
constables run onto the stage] ये साला चालाकी करा! जाँच्चो! हत्यार वत्यार रक्काहे काय? [constables
search Momin roughly]
एक कॉन्स्टेबल: क्लीन, सिर!
आदमी: कींचके लेजाओ, सले को! देश का गद्दार है! चलो, इंटेरगेट करेंगे, सुबकुछ बकडएंगा! चलो!
मोमिन [चिल्लाटेहुआ]: अर्रे भाई, मैं पॉलिटिक्स नहीं जनता! मैं फिज़िक्स मैं लेक्चरर हुईं – अर्रे मानिएतओ!
[They leave dragging Momin out. Lights dim out. Lights come
up on empty stage. Sutradhar comes on stage and reads from a document]
Sutradhar: Dr. Momin Khan was produced in court today. He
declared that he had voluntarily made his confession that he was an agent of
ISI, Pakistan, and of Al-Qaeda, Saudi Arabia. He refused to appoint a defence
lawyer and refused the help of an amicus curie appointed by court. He concluded
his statement by shouting ‘Allah ho Akbar’ several times till he was restrained
by constables. The Public Prosecutor said Dr Momin Khan was charged under
Indian Penal Code, sections 120 criminal conspiracy; 121 waging war against the
state, 121A conspiracy to wage war; 123 concealing with design to wage war; 125
waging war against friendly state in alliance with government of India; 300
murder; 307 attempt to murder; 105 abetment of crime punishable with death;
108A abetment in India of offences outside India; 141 unlawful assembly; 224
resistance to lawful apprehension; 201 causing disappearance of evidence of
crime; 179 refusing to answer public servant; 189 threat of injury to public
servant; 332 voluntarily causing hurt to public servant; 146 rioting; 298
uttering words to hurt religious feelings; 153A causing enmity between
different groups; 504 intentional insult to cause breach of peace;416 cheating
by personation; 425 mischief. The Public
Prosecutor asked for the death sentence. Outside the court, a few of Dr. Momin
Khan’s students demonstrated claiming that he was innocent and that his
confession had been extracted under torture. They were all arrested and later
released under private bond.
[ Sutradhar leaves the stage]
END
No comments:
Post a Comment